लखीमपुर खीरी हादसा : क्या दबाव में है सरकार ?
लखीमपुर खीरी हादसे को लेकर सियासत गर्म है , छोटी बड़ी पार्टी का हर नेता इस हादसे में अपनी राजनैतिक रोटियां सेकना चाहता है। ग़ौर तलब है कि कुछ ही महीनो बाद उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले है ,कोई भी इस मौके को गवाना नहीं चाहता। यहाँ तक की पंजाब और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी अपने अपने हेलीकॉप्टर लेकर तैयार बैठे थे लेकिन प्रदेश सरकार ने इसकी इज़ाज़त नहीं दी। ये पहला मौका होगा जब किसी राज्य में हुए हादसे में अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री दखल दे। खैर राज्य प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए न केवल नेताओं को वह जाने से रोका बल्कि किसानों की सभी मांगे मानते हुए मामले को शांत करने का प्रयास भी किया। जिससे मामला और तूल न पकडे। लेकिन सवाल उठता है क्या राज्य सरकार इस घटना को लेकर दबाव में है ? घटनाक्रम की सही जानकारी सामने नहीं आ पा रही है . . दोनों पक्षों का अपना अपना दावा है। किसान नेताओं का कहना है शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानो के ऊपर केन्द्री गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा ने गाड़ी चढ़ा कर चार किसानो को मार डाला इस घटना से गुस्साए किसानो ने दो गाड़ियों में आग लगा दी।
वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का कहना है कि उनका बेटा हादसे के समय वहां था ही नहीं। दरअसल उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जो भवानीपुर गांव में हो रहे दंगल कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे उनको रिसीव करने के लिए जा रहे थे , वहां प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गाड़ियों पर पथराव कर दिया जिससे बचने के लिए ड्राइवर ने गाड़ी भगा दी जिससे ये दुर्घटना हुई। इसके बाद किसानो ने ड्राइवर सहित चार कार्यकर्ताओ को पीट पीट कर मार डाला। आशीष मिश्रा ने भी अपने बयां में कहा कि वो पुरे समय अपने गांव में हो रहे कार्यक्रम की देख रेख में व्यस्त था वो घटना के समय वहां नहीं था। अब सच क्या है ये जांच का विषय है ? सच सामने आना ज्यादा मुश्किल नहीं है घटना का समय ३ से ४ के बीच बताया जा रहा है ऐसे में अगर आशीष मिश्रा सच कह रहे है तो इसके हज़ारो गवाह हो सकते है। . केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के गांव में जहा दंगल का कार्यक्रम हो रहा था वह हज़ारो दर्शको के आलावा कई अधिकारी भी मौजूद थे। ये पता लगाना मुश्किल नहीं होगा कि आशीष मिश्रा ३ से ४ के बीच वह मौजूद थे या नहीं।
अगर गृह राज्य मंत्री और उनके पुत्र का दावा सही है तो किसान नेताओ ने आशीष मिश पर आरोप किस साज़िश के तहत लगाया ? क्या सरकार विरोधी आंदोलन मंत्री और उनके बेटे का नाम लेकर सरकार पर दबाव बनाना चाहते थे ? जिसमे वो सफल भी हुए। आंदोलन के दबाव में और इसकी चिंगारी और न भड़के, सरकार ने उनकी सारी मांगे मान ली। मंत्री और उनके बेटे पर एफआईआर , घटना की जाँच हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज से तथा मृतक परिवार को ४५-४५ लाख का मुआवजा और सरकारी नौकरी।
अब अगर आशीष मिश्रा चार किसानों की हत्या का जिम्मेदार है तो बाकि पांच लोगो की हत्या का जिम्मेदार कौन है ? क्या उनके दोषियों को भी सजा मिलेगी ? फिर उन पांच मृतक परिवार के लिए किसी मुआवज़े की घोषणा क्यों नहीं की गई ?
बहुत से सवाल अभी भी अनुत्तरित है। घटना को लेकर एक नया विडियो सामने आया है भिंडरावाले की तस्वीर लगी टी शर्ट पहने कुछ लोग दिखयी पड़ रहे है। तो क्या सब कुछ किसी साज़िश के तहत किया गया ? किसानों द्वारा पीट पीट कर मारें जा रहे एक युवक का वीडियो भी वायरल हो रहा है। . तेजी से जा रही ..उस गाड़ी का वीडियो भी सामने आया है जिससे कुचल कर किसानो की मौत हुई। उस गाड़ी का सीसा भी टुटा हुआ दिख रहा है। तो क्या पहले गाड़ी पर पथराव हुआ और भीड़ से बचने के लिए ड्राइवर ने गाड़ी भगा दी जिससे कुछ किसान हादसे का शिकार हो गए।
सवाल बहुत से है, क्या अगर आशीष मिश्रा दोषी है तो क्या उसे सजा मिलेगी ? अन्य पांच लोग जिनकी पीट पीट कर हत्या कर दी गयी उनके दोषियों को सजा कौन देगा ? क्या किसानो के दबाव में सरकार किसी तरह की गिरफ़्तारी से बचना चाहेगी ? अगर किसानों को गिरफ़्तार किया गया तो क्या विपक्षी पार्टियां और किसान नेता इसे मुद्दा नहीं बनायेंगे।
बिना जनाधार वाली पार्टी के कुछ नेता भी लखीमपुर पहुँच कर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकना चाहते है लेकिन उन पांच निर्दोष , जिनमे एक पत्रकार , एक ड्राइवर भी है उनकी आवाज़ उठाने वाला कोई नहीं है। क्या उन्हें भी न्याय मिलेगा या फिर इस भीड़ तंत्र में उनकी आवाज़ दब जाएगी। ये योगी सरकार की अग्नि परीक्षा भी है। क्या वास्तव में न्याय होगा और हत्या के दोषियों को सज़ा मिलेगी चाहे वो किसान या मंत्री पुत्र अथवा सब कुछ राजनितिक रस्सा कसी के भेंट चढ़ जायेगा।