राजनीतिक साजिश थे हिन्दुओं पर हमले/ लेकिन अशरफ गनी नहीं हैं हसीना वाजेद

शुभम सिंह 

बांग्लादेश में पिछले दिनों हिंदुओं पर हुए हमलों को लेकर जो 3 गिरफ्तारियां हुई हैं वे बता रही हैं कि इन हमलों के पीछे राजनीतिक मंशा क्या थी। इकबाल हुसैन, जिसने कोमिला के पूजा पंडाल में हनुमान जी की मूर्ति के चरणों में कुरान को रखा था , उसे कॉक्स बाजार से गिरफ्तार किया गया है। फैयाज अहमद जिसने फेसबुक पर उस फोटो को प्रचारित किया वह एक लंबे अरसे तक सऊदी अरबिया में रहा था। पुलिस का कहना है कि जो कुरान हनुमान जी के चरणों में रखी गई थी, वह सऊदी अरबिया में छपी थी। कमालुद्दीन अब्बासी जिसने कोमिला कि घटना के बाद चांदपुर में हिन्दू मंदिर पर हमला करने के लिए उन्मादी भीड़ को जुटाया और उनका नेतृत्व किया, उसने अपना अपराध कबूल कर लिया है।  ये तीनों पाकिस्तान हिमायती  जमात -ए-इस्लामी के सदस्य हैं। जमात-ए-इस्लामी ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता आंदोलन का विरोध किया था।  
बांग्लादेश की तकरीबन १७ करोड़ की आबादी में हिन्दुओं की संख्या 10 फीसदी के आसपास है लेकिन 300 संसदीय क्षेत्रों में से 50 में वे चुनाव के नतीजों को प्रभावित करते हैं। हमला उन पर इसलिए किया जा रहा है, ताकि वे डर जायें, राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल न हों, और चुनाव में वोट करने न जाएं। वे चाहते हैं कि शेख हसीना की सेकुलर सरकार बदनाम हो और भारत से उसके रिश्ते बिगाड़ें।   2,000- 2001 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और उसके सहयोगी दल जमात-ए-इस्लामी ने हिंदुओं पर इसी तरह के हमले किए थे।  उनका उद्देश्य हिंदुओं को यह बताना था कि सत्तारूढ़ आवामी लीग उनके हितों की रक्षा करने में असमर्थ है. उनकी चाल  सफल हुई थी। भारत के साथ बांग्लादेश की झड़प भी हुई थी और अवामी लीग 2001 का चुनाव भी हार गई थी। 
अभी अवामी लीग सत्ता में है और दो साल बाद चुनाव है. विपक्ष हर संभव कोशिश में है कि  अवामी लीग को हराकर सत्ता हासिल की जाए।  इस उद्देश्य में लगे इस्लामी समूह पिछले साल से ही राजनीतिक गठबंधन बनाने में भी ;लगे हैं।  वे सड़कों पर भी आक्रामक रवैया अपना रहे हैं। इसके लिए वे तरह-तरह के बहाने अपना रहे हैं।  शेख मुजीब की मूर्ति लगाने को गैर इस्लामी कहते हुए किया गया विरोध इसी रणनीति का हिस्सा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा को लेकर फ्रांस में जो विरोध हुए और फ्रांस सरकार ने उसके खिलाफ जो कार्रवाई की, उसे लेकर भी इस्लामी समूहों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया।  
हिन्दुओं पर हुए हमले को लेकर शेख हसीना ने कड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने हिफाजत-ए – इस्लाम और जमात-ए-इस्लामी के दर्जनों नेताओं को हत्या लूट और आगजनी के मामले में जेल में डाला है।  हिन्दुओं के खिलाफ हुए हमले से सेकुलर एलिमेंट्स काफी गुस्से में हैं।  शेख हसीना के एक जूनियर मिनिस्टर ने तो यह भी घोषित कर दिया है कि  बांग्लादेश 1972 के सेकुलर संविधान पर लौटेगा, और १९८८ में  जनरल इरशाद के जमाने में बांग्लादेश को  इस्लामी शासन  बनाने का जो आठवां संविधान संशोधन हुआ उसे रद्द कर दिया जाएगा।  अवामी लीग को संसद में ऐसा संशोधन करने के लिए जरूरी बहुमत हासिल है। लेकिन इससे बांग्लादेश में अंदरूनी संघर्ष बढ़ेगा, और इस कदम के राजनीतिक और धार्मिक असर भी होंगे।  
संयुक्त राष्ट्र संघ और पश्चिम के देशों ने हिंदुओं की रक्षा की मांग की है।  भारत ने हसीना सरकार की तारीफ की है कि उसने दंगा फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।  हसीना को यह मौका है कि वे इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। इन कार्रवाइयों को लेकर मानवाधिकार उल्लंघन आदि के मुद्दे भी नहीं बनेंगे। पूरी दुनिया ही इस समय मांग कर रही है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा की जाए।  समझा जा रहा है कि शेख हसीना इस्लामी कट्टरपंथियों का काबू में लाने की पूरी कोशिश करेंगी।  
अफगानिस्तान में तालिबान ने जो सत्ता हासिल की है उससे बांग्लादेश के इस्लामी कट्टरपंथियों का मन बढ़ा है। लेकिन शेख हसीना वाजेद अशरफ गनी नहीं हैं।  उनकी हत्या की अब तक १९ कोशिशें हो चुकी हैं।  अवामी लीग कोई अमेरिका का पैदा किया जेबी संगठन नहीं है।  अवामी लीग ने बांग्लादेश को मुक्ति दिलाई है।  संघर्ष बांग्लादेश में बढ़ेगा।  भारत को इस संघर्ष पर बहुत बारीक नजर रखने की जरूरत है।  

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